बांग्लादेश एक वक्त का खाना पानी सप्लाई बंद हिंसा से झुलस रहे हिंदू महिला ने बताई आपबीती

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शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया जाने लगा। सांप्रदायिक हमलों के बीच, पंचगढ़ की मौसमी ने हमें अपनी आपबीती सुनाई। हिंदी या अंग्रेजी न समझ सकने वाली मौसमी ने अपनी कहानी वॉट्सएप पर बांग्ला में भेजी, जिसका हिंदी तर्जुमा हम आपके साथ साझा कर रहे हैं।

मौसमी बताती हैं कि उनका परिवार पिछले एक हफ्ते से घर से बाहर नहीं निकला। रसोई में सामान खत्म हो गया है, और वे नमक के साथ चावल उबालकर खा रहे हैं ताकि रात में भूख न लगे। रात में वे पहरा देते हैं, पहले पुरुष ही पहरा देते थे लेकिन अब महिलाएं भी इसमें शामिल हो गई हैं। मौसमी की बेटी सिलीगुड़ी में है और फोन पर रोती है, लेकिन मौसमी को तसल्ली है कि वह सुरक्षित है।

बांग्लादेश में आए राजनैतिक भूचाल का असर अब आम घरों तक पहुंच गया है। हिंदू अल्पसंख्यक सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं, उनके घर और दुकानें जलाई जा रही हैं, मंदिर तोड़े जा रहे हैं। मौसमी का मायका नोवाखली में है, जहां लूट के बाद कई घरों से लड़कियां भी गायब हो गईं हैं।

उन्होंने बताया कि जब स्टूडेंट प्रोटेस्ट शुरू हुआ, तभी से कुछ होने का अंदेशा था। उन्होंने शहर में किराए के घर में शरण ली, जहां उनके मकान मालिक भी हिंदू हैं। वे उन्हें रसोई का सामान और दवाएं लाकर दे रहे थे। अब दो दिन से वही लोग उन्हें चावल दे रहे हैं, जिन्हें वे नमक डालकर उबालते हैं और एक वक्त खाते हैं। पीने के पानी की सप्लाई भी बंद हो चुकी है और वे पानी छानकर या उबालकर पी रहे हैं।

तीन दिन पहले मौसमी के पिता की दवा दुकान को लूटकर जला दिया गया। उनके पिता फोन पर रो रहे थे और कह रहे थे कि उन्हें मुल्कपरस्ती का ये बदला मिला। वे बार-बार मौसमी को समय रहते भाग जाने की सलाह दे रहे थे। मौसमी चाहकर भी उन्हें तसल्ली नहीं दे पा रही हैं और अब वे फोन पर भी बात नहीं कर रहे।

यह कहानी कई घरों की है। चिन्ह लगाकर घर लूटे जा रहे हैं और लड़कियां भी लूटी जा रही हैं। मौसमी खुद एक वकील थीं, लेकिन माहौल इतना बिगड़ चुका है कि उन्हें कोर्ट जाने पर साड़ी के ऊपर बुरका डालना पड़ता था। अब वे किसी और कंपनी से जुड़ गई हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि वे फिर कभी अपने पेशे में लौट पाएंगी।

हमारी ऑनलाइन ट्रांसलेटर की मदद से कई घंटों की चैट के दौरान मौसमी बीच-बीच में लंबा ब्रेक लेती थीं। वे पहरा देने जा रही थीं या पहरा दे रहे लोगों की मदद कर रही थीं। फोन के उस पार से कई तस्वीरें और वीडियो भी भेजे गए, जिनमें खून से सनी लाशें, जलते हुए घर और रोते-चीखते लोग शामिल थे।

एक तस्वीर में पंचगढ़ के लोग दिख रहे थे, जो भारत जाने के लिए बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। मौसमी ने बताया कि लगभग 2 हजार लोग होंगे, जो बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे हैं।

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